Listen to the sound clip आदरणीय अतिथि ! चांदपुर की धरती की सभ्यता और संस्कृति में अतिथि देव होते हैं। इस दहलीज पर आपका क्या स्वागत करू समझ में नहीं आता। मैं इतना भाव-विहल हूँ कि समझ नहीं पा रहा कि शब्द की गंगाजल से आपका पांव पखारूँ या आकाश के तारों से आपको आरती उतारूँ। परमादरणीय समधी जी ! आपके सदगुणों से ओत-प्रोत हो मैं कन्या रूपी रत्न आपको आज समर्पण करता हूँ। आपकी शीतल छाया में इस बालिका की सुखद और सौभाग्यपूर्ण जीवन यात्रा सफल हो, यही ईश्वर से हमारी शुभकामना है। -: कन्यार्पण :- माँ की ममता का सागर, मेरी आँखों का... from Narendra (Public Figure) HiFi TTS Computer AI Voice:
आदरणीय अतिथि ! चांदपुर की धरती की सभ्यता और संस्कृति में अतिथि देव होते हैं। इस दहलीज पर आपका क्या स्वागत करू समझ में नहीं आता। मैं इतना भाव-विहल हूँ कि समझ नहीं पा रहा कि शब्द की गंगाजल से आपका पांव पखारूँ या आकाश के तारों से आपको आरती उतारूँ। परमादरणीय समधी जी ! आपके सदगुणों से ओत-प्रोत हो मैं कन्या रूपी रत्न आपको आज समर्पण करता हूँ। आपकी शीतल छाया में इस बालिका की सुखद और सौभाग्यपूर्ण जीवन यात्रा सफल हो, यही ईश्वर से हमारी शुभकामना है। -: कन्यार्पण :- माँ की ममता का सागर, मेरी आँखों का...
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