मायका स्त्री की आत्मा है। जो कभी पुरानी नहीं होती।
सबकुछ तो पुराना हो जाता हैं,स्त्रियां बेटी,से बहू और बहू से सास बन जाती हैं ,लेकिन उनके लिए मायका हमेशा नया ही लगता है,जहां आकर वो अपना बचपन जीने लगती हैं।
बकरा ,पंडित और ठग,कहानी है पंचतंत्र की ,जिसमें बार बार ठग के बकरे को कुत्ते बताने पर ब्राह्मण बकरे को कुत्ता समझ रख देता है,जिसे ठग अपने अधिकार में ले लेते है।इससे सीख मिलती है कि बार बार झूठ को सच बताने पर झूठ सच ही लगता है।
mayka striyo ka apna hota hai jaha Jakar wo apni umra bhul jati hai,unka bachpan laut aata hai
जागरूक ग्राहक के सामने दुकानदार की होशियारी पकड़ी जाती है।